Department of Telecommunications ने जारी किए नए साइबरसुरक्षा नियम — टेलीकॉम नेटवर्क्स को दी बड़ी सख्ती

नई दिल्ली — भारत के दूरसंचार नियामक दायित्वों में आज एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है, जब दूरसंचार मंत्रालय (DoT) ने नए साइबरसुरक्षा नियम लागू करने की घोषणा की। इन नियमों के अंतर्गत टेलीकॉम ऑपरेटरों को नेटवर्क सुरक्षा बढ़ानी होगी, पहचान चोरी (identity misuse) रोकने के लिए MNV (mobile number verification) प्लेटफॉर्म अपनाना होगा, तथा उपकरणों व सॉफ़्टवेयर की साख सुनिश्चित करनी होगी।


मुख्य प्रवर्तन बिंदु:

  • टेलीकॉम नेटवर्क आपूर्तिकर्ताओं को 6 महीनों के भीतर MNV प्लेटफॉर्म लागू करना होगा, जिससे फ़ोन यूज़रशन, सिम दुरुपयोग व नंबर क्लोनिंग पर लगाम लग सके।

  • नेटवर्क उपकरण व सॉफ़्टवेयर पर नियमित फॉरेनसिक ऑडिट अनिवार्य होंगे — विशेषकर विदेशी-उत्पादन सर्वर व सिम कार्ड से जुड़े सिस्टम में।

  • पहचान चोरी, सिम-क्लोनिंग और OTT-फायबर नेटवर्क्स में पहुँच से उत्पन्न जोखिम को मॉनिटर करने के लिए सेंट्रल साइबरसुरक्षा यूनिट बनाया जाएगा।

  • उल्लंघन करने वाले टेलीकॉम ऑपरेटरों, उपकरण विक्रेताओं व नेटवर्क मैनेजर्स को भारी-पैमाने पर जुर्माना व लाइसेंस कटौती का खतरा रहेगा।

राज्य तथा केंद्र की एजेंसियों ने इस कदम को भारत में डिजिटल सुरक्षा-ढाँचे को मज़बूत बनाने की दिशा में सकारात्मक माना है। विश्लेषकों का कहना है कि यह पहल ’डिजिटल इंडिया 2.0’ के तहत एक बड़े बदलाव का संकेत है।

“यह अधिसूचना सिर्फ नियम नहीं बल्कि टेलीकॉम नेटवर्क्स में भरोसा बढ़ाने का माध्यम बनेगी।” — दूरसंचार विशेषज्ञ धर्मेंद्र मिश्रा

साथ ही, इस बदलाव से आम यूज़र की सुरक्षा बढ़ने की संभावना है — क्योंकि सिम-क्लोनिंग, नंबर-हाइजैकिंग व नेटवर्क-स्नूपिंग जैसी घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण मिल सकेगा। इसे दूरसंचार-उद्योग में सुरक्षित-कम-हैज़र्ड नेटवर्क की दिशा में कदम माना जा रहा है।